इमीना नाम था लड़की का, तुर्की देश से थी। कहानियों की हिरनी जैसी आँखें, गोरा रंग और कत्थई एवं सुनहरे को मिलाने से बने रंग के बाल उसके पास थे, व्यक्तित्व
आकर्षक था। फ्रांस में फ्रैंच भाषा से दोस्ती के दौरान उस हिंदुस्तानी लड़के की उससे मुलाकात हुई। उस विद्यालय में एक साथ एक ही कक्षा में नई भाषा सीखते हुए
उन्हें अभी दो ही हफ्ते बीते थे। इमीना को अपनी मातृभाषा के अलावा कोई दूसरी भाषा न आती और लड़के की पकड़ भी सिर्फ हिंदी-अँग्रेजी में ही थी बावजूद इसके दोनों कुछ
और दोस्तों के साथ मध्यावकाश में एक साथ खाते-पीते और फ्रैंच बोलने का अभ्यास करते।
एक दिन मध्यावकाश में कक्षा से बाहर बैठे हुए थे कि दूसरी कक्षा के कुछ लड़के जो मध्य-पूर्व के किसी देश से लगते थे, चील की तरह उनके आस-पास मँडराने लगे। एक ने
इमीना की तरफ इशारा करके फ्रैंच में पूछा -
- एलो मादाम! इजिप्शियाँ?
अपरिचित लोगों के अचानक हुए सवाल से इमीना हैरान थी। उसने अपने बाकी साथियों की ओर देखा, पर किसी ने कुछ न कहा। वही लड़का फिर बोला -
- अल्जीरिया?
इमीना ने इनकार में सिर हिलाया और अपना लंच बॉक्स सिमेट कर कक्षा में चली गई, उसकी आँखों में आँसू थे। शक्ल-सूरत से बदमाश लगते उन लड़कों से कोई कुछ न बोला, बस
सबने अपना सामान उठाया और इमीना के पीछे-पीछे कक्षा में आ गए।
हिंदुस्तानी लड़का रात भर खुद को समझाता रहा
- 'इतने लोग थे, जब किसी ने उन्हें नहीं रोका तो मैं ही क्यों बोलता? मुझे तो अभी फ्रैंच भी ढंग से नहीं आती, कुछ कहता भी कैसे? और क्या मालूम उन्हें भी
अँग्रेजी न आती हो।'
उसको खुद के न बोलने की ढेरों वजहें मिल रही थीं।
- 'फिर इमीना को भी तो स्कूल वालों से शिकायत करनी चाहिए थी। जाने कैसे लड़के हों, शक्ल से ही गुंडे लगते थे। ऊपर से पराए देश में जहाँ अब तक कानून ही नहीं मालूम
वहाँ फसाद में क्यों पड़ना... और फिर मैं कुछ बोलता भी तो और सहपाठी जाने क्या समझते...'
इस तरह बहाने खोजते वह नींद में चला गया।
अगले दिन दोपहर में सभी ने कक्षा के भीतर ही खाना खाया और वहीं बात करने लगे। मगर वो लड़के आज फिर इमीना को खोजते सीधे कक्षा में पहुँच गए। उनकी हिम्मत आज कुछ और
बढ़ी हुई थी, एक ने कुर्सी पर बैठते हुए अपने जूते मेज से टिका दिए। पिछले दिन वाला लड़का फिर से फ्रैंच में बोला -
- मोरक्को मादाम? ये तो बता दो नाम क्या है?
इमीना ने दोनों हाथों का घेरा बनाया और उस पर माथा टेक, झुककर बैठ गई। सभी सहपाठी मूकदर्शक बने रहे। वह बोलता रहा।
- तुम से ही बात कर रहा हूँ खूबसूरत मादाम...।
अचानक पीछे से कोई आवेश भरी आवाज में अँग्रेजी में बोला।
- जब वह तुम लोगों से बात नहीं करना चाहती तो क्यों तंग कर रहे हो उसे? हमारी कक्षा से बाहर जाओ वरना अब हम सीधा प्रिंसिपल के पास जाएँगे...
असर हुआ। वो सारे लड़के चुपचाप बाहर चले गए। इमीना ने उस आवाज वाले हिंदुस्तानी दोस्त की तरफ भरी आँखों से देखकर कुछ कहा। वह भी अपने पर हैरान था कि कैसे इमीना
की भाषा समझ गया।